जशपुर,टीम पत्रवार्ता,29 सितंबर 2024
जशपुर जिले में छात्रावासों की बदहाल तस्वीर सामने है।जहां शासन विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवाओं के लिए शिक्षा के नए आयाम विकसित करने में लगी है वहीं कुछ जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी सुशासन की मिट्टी पलीत करने में लगे हुए नजर आ रहे हैं।जिनको प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाने का जिम्मा खुद सरकार ने लिया है उन्हें इस कदर दरकिनार किया गया कि पहाड़ी कोरवा छात्रा ने सुसाईड का प्रयास कर डाला।
मामला है कुनकुरी विकासखण्ड के बासनताला प्री-मैट्रिक हॉस्टल का जहां एक छात्रा को हॉस्टल से निकाल दिए जाने से वह त्रैमासिक परीक्षा नहीं लिख पाई। 10 वीं की पहाड़ी कोरवा छात्रा इससे इतनी परेशान हुई कि उसने जहर पीकर की आत्महत्या की कोशिश कर डाली।फिलहाल छात्रा का ईलाज जिला चिकित्सालय में चल रहा है।
छात्रा अधीक्षिका की डांट-फटकार से परेशान थी और वह हॉस्टल से भाग गई थी।जिसके बाद परिजनों ने अधीक्षिका से दो दिनों तक क्षमा मांगा और पुनः बच्ची को हॉस्टल में रखने का आग्रह किया जिसके बाद भी अधीक्षिका ने उसे माफ करना मुनासिब नहीं समझा और साफ शब्दों में जवाब दिया कि पेटी उठाओ और जहां से आए हो वहाँ ले जाओ।
दरअसल अधीक्षिका ने पहाड़ी कोरवा छात्रा को हॉस्टल में रखने से इंकार कर दिया था।हॉस्टल में जगह नहीं मिलने पर छात्रा त्रैमासिक परीक्षा नहीं दे पाई जिसके कारण वह मानसिक अवसाद से ग्रस्त थी।
बहरहाल घटना सामने आई है।मामले में जिम्मेदार अधिकारी सहायक आयुक्त संजय सिंह का कहना है कि उन्हें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार उसे हॉस्टल से निकाला नहीं गया है।बल्कि वह स्कूल जाने के लिए निकली थी और भाग गई।फिलहाल छात्रा स्वस्थ है जिला अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।मामले में आवश्यकता पड़ने पर कार्यवाही की जाएगी।
जशपुर जिले में विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवाओं के लिए कई आश्रम छात्रावास संचालित हैं जहां उच्च गुणवत्ता का अभाव है वहीं अधीक्षकों को नियमानुसार प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है जिससे छात्र छात्राओं के साथ मानवीय व्यवहार करते हुए उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा सके।
उक्त मामले में जांच कार्यवाही कब तक पूरी हो पाती है यह देखने वाली बात है।इस प्रकार की लापरवाही से निश्चित ही शासन प्रशासन की छवि पर सवालिया निशान खड़े होते हैं।
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