सरगुजा,टीम पत्रवार्ता,08 सितम्बर 2024
तमाम विरोधों के बाद स्थापित मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना हाइड्रेट प्लांट में बड़ा हादसा हुआ है। इस हादसे के बाद मजदूरों की मौत का सिलसिला शुरु हो चूका है। खबर है कि प्लांट में सुरक्षा के मापदण्डों के साथ श्रमिक नियमों की भी अनदेखी इस हादसे का बड़ा कारण है। हांलाकि प्रशासन अपने स्तर पर मामले की जाँच कर रही है।
मामला है सरगुजा जिले के लुंड्रा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सिलसिला स्थित मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना हाइड्रेट प्लांट का जहाँ रविवार की सुबह करीब 11 बजे बड़ा हादसा हो गया। काम के दौरान कोयले का बंकर मजदूरों के ऊपर गिर गया जिसमें बंकर के नीचे 7 मजदूर दब गए। काफी मशक्कत के बाद 3 मजदूरों को निकालकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराया गया है। जहाँ दो मजदूरों की मौत हो गई है वहीँ एक का इलाज जारी है। बनकर के नीचे दबे अन्य मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू जारी है।
7 मजदुर बंकर में दबे
उल्लेखनीय है कि सिलसिला स्थित मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना हाइड्रेट प्लांट में मैनपाट के परिशोधन बॉक्साइट से एल्यूमिनियम बनाया जा रहा है। रविवार को भी प्लांट में काम चल रहा था। सुबह करीब 11 बजे अचानक कोयले का बंकर (हॉपर) व करीब 150 फीट बेल्ट वहां काम कर रहे मजदूरों पर गिर गया।हादसे में बंकर के नीचे काम कर रहे 7 मजदूर दब गए। इससे वहां अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलते ही प्लांट प्रबंधन की बचाव टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू शूरु किया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद दबे 3 मजदूरों को बाहर निकालकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराया गया।
यहां जांच के बाद 2 मजदूर मध्यप्रदेश के मंडला निवासी प्रिंस राज व मनोज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, वहीँ 1 अन्य मजदुर का इलाज जारी है।प्लांट में बंकर के नीचे दबे अन्य चारमजदूरों का रेस्क्यू किया जा रहा है। भारी-भरकम बंकर को गैस कटर से काटकर मजदूरों को निकालने की कवायद जारी है। हादसे के बाद से प्लांट में हडक़ंप मचा हुआ है।
हादसे की सूचना मिलते ही रघुनाथपुर चौकी प्रभारी राजेंद्र सिंह दल-बल के साथ मौके पर पंहुच गए हैं, वहीं एल्यूमिना प्लांट के अधिकारी भी मौके पर पहुंच चुके हैं।
सुरक्षा के मानक मापदंडों को प्रबंधन ने किया दरकिनार
बताया जा रहा है कि प्लांट प्रबंधन की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व में भूसे से प्लांट का ब्रायलर (बेल्ट) चलाया जाता था। इस महीने के पहले दिन से कोयले का उपयोग किया जाने लगा। वजन अधिक हो जाने की वजह से बेल्ट टूट गया और हॉपर मजदूरों पर गिर गया।
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