... पत्रवार्ता न्यूज : शांतिकुंज हरिद्वार में रसियन सीख रहे वैदिक कर्मकाण्ड,भारतीय सनातन संस्कृति से हुए प्रभावित,आध्यात्मिक साधना से प्राप्त,ज्ञान एवं विधा को रसिया में जन-जन तक पहुंचाने का लिया संकल्प।

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पत्रवार्ता न्यूज : शांतिकुंज हरिद्वार में रसियन सीख रहे वैदिक कर्मकाण्ड,भारतीय सनातन संस्कृति से हुए प्रभावित,आध्यात्मिक साधना से प्राप्त,ज्ञान एवं विधा को रसिया में जन-जन तक पहुंचाने का लिया संकल्प।

हरिद्वार,टीम पत्रवार्ता,12  अप्रैल 2023 

By योगेश थवाईत 

जब बात हो सनातन संस्कृति और भारतीय दर्शन की तो आध्यात्मिक संस्थान के रुप में पहला नाम शांतिकुंज हरिद्वार का आता है जिसकी स्थापना युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने की है।सतत साधना,जप,ध्यान,योग,यज्ञ के साथ रचनात्मक कार्यों का प्रकाश अब विदेशों तक फ़ैल रहा है।इसी क्रम में १५ दिवसीय प्रवास में रसिया से आए श्रद्धालुओं की टीम ने साधना, वैदिक कर्मकाण्ड एवं भारतीय सुगम संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 

रशियन टीम में सरगेई, नतालिया, ऐफगेनी, इगोर, रादा,अर्त्योम,अहिल्या,सेनिया गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार पहुंचे हैं।देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के मार्गदर्शन एवं डॉ. ज्ञानेश्वर मिश्र के संयोजन में साधना, वैदिक कर्मकाण्ड एवं भारतीय सुगम संगीत का प्रशिक्षण ले रहे हैं।दिनों दिन भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए विश्वभर के लोग अपना कदम बढ़ा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि शांतिकुंज एक विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान है। यहाँ वर्षभर आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों का भी संचालन होता है। यहाँ देश विदेश के साधक अपनी आंतरिक ऊर्जा के जागरण के लिए तप साधना करते हैं, तो वहीं अनेकानेक लोग अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने के लिए नैतिक प्रशिक्षण शिविर, व्यक्तित्व परिष्कार शिविर के साथ ही वैदिक कर्मकाण्ड, संगीत की विद्या भी सीखते हैं। 

रसिया से आये सरगेई, अहिल्या, नतालिया का कहना है कि सन् 2012 अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख आदरणीय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी रसिया आये थे, तब हमने अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ उनके कार्यक्रम में भाग लिया था, उस समय उन्होंने जो कुछ कहा और बताया, उससे हम लोग काफी प्रभावित हुए। उनसे गायत्री महामंत्र की दीक्षा ली और गायत्री साधना करने लगे।
 

रसियन टीम ने कहा कि वास्तव में प्राचीन संस्कृति भारतीय संस्कृति है। यहाँ वसुधैव कुटुम्बकम की भावना है। इससे ही सेवा, सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ती है। हम लोग डॉ. प्रणव पण्ड्या जी के आमंत्रण पर शांतिकुंज आये हैं और यहाँ भारतीय संस्कृति को जानने के लिए साधना पद्धति, वैदिक कर्मकाण्ड का अध्ययन, सीख रहे हैं। इसके अलावा भारतीय सुगम संगीत का अभ्यास कर रहे हैं। इसमें हमें बहुत आनंद आ रहा है। उन्होंने बताया कि शांतिकुंज से मिली मानवता की सीख, ज्ञान एवं विधा को रसिया में जन-जन पहुंचायेंगे।

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