... खबर पत्रवार्ता :राजनीति/रणनीति : संघ प्रमुख मोहन भागवत का जशपुर आगमन "रक्त तिलक से राजतिलक तक,"जूदेव यूँ ही दिलों में राज नहीं करते" तब RSS के नेतृत्व में तीनों सीटें BJP को मिली थीं,पहली बार हुई थी जूदेव की पदयात्रा,जूदेव के मूर्ति अनावरण से ऑपरेशन हिंदुत्व का शंखनाद,मोहन भागवत का दौरा,किसे मिलेगा बल...? कौन होगा प्रबल....? जानें समझें पूरी STORY सिर्फ पत्रवार्ता पर।

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खबर पत्रवार्ता :राजनीति/रणनीति : संघ प्रमुख मोहन भागवत का जशपुर आगमन "रक्त तिलक से राजतिलक तक,"जूदेव यूँ ही दिलों में राज नहीं करते" तब RSS के नेतृत्व में तीनों सीटें BJP को मिली थीं,पहली बार हुई थी जूदेव की पदयात्रा,जूदेव के मूर्ति अनावरण से ऑपरेशन हिंदुत्व का शंखनाद,मोहन भागवत का दौरा,किसे मिलेगा बल...? कौन होगा प्रबल....? जानें समझें पूरी STORY सिर्फ पत्रवार्ता पर।

जशपुर,टीम पत्रवार्ता,11 नवम्बर 2022 

BY योगेश थवाईत 

देश की आजादी के बाद 1952 में जशपुर की पावन धरा पर आरएसएस द्वारा स्वर्गीय बाला साहेब देशपांडेय के नेतृत्व में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की गई।कल्याण आश्रम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी अस्मिता,वनवासी,संस्कृति की रक्षा के साथ हिंदुत्व का जागरण करना था।आखिर जशपुर से जूदेव का सफर कैसे शुरु हुआ ? ऑपरेशन घर वापसी के महानायक कैसे बने ? जूदेव के मूर्ति अनावरण और आरएसएस का क्या है एजेंडा ?संघ प्रमुख मोहन भागवत का जूदेव और जशपुर से क्या है कनेक्शन ?तमाम सवालों के जवाब आपको मिल जाएंगे बशर्ते इसे समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा।  

उल्लेखनीय है कि 1948 में बरार प्रांत हुआ करता था जो ब्रिटिश आधीन भारत का एक प्रांत था।यह प्रांत मध्य भारत के उन राज्यों से बना था, जिन्हें अंग्रेजों ने मराठों एवं मुग़लों से जीता था। इस प्रांत की राजधानी नागपुर थी। इस समय बरार प्रांत के प्रधानमंत्री (मुख्यमंत्री) रविशंकर शुक्ल बने।तब झारखण्ड से लेकर जशपुर छोटा नागपुर के रुप में जाना जाता था। इस समय जशपुर में मिशनरीज गतिविधियाँ हावी थीं। 

मिशनरियों ने मुख्यमंत्री को दिखाए काले झंडे

अपनी सीमा के चिन्हांकन के लिए जब 28 अप्रैल 1948 को पंडित रविशंकर शुक्ल जशपुर पंहुचे तो यह बात रांची के कॉर्डिनल को पता चली कि रविशंकर शुक्ल  जशपुर आए हैं तो उन्होंने ऐसा आदेश किया कि जशपुर से पत्थलगांव तक उनके लोग श्री शुक्ल को काला झंडा दिखाने लगे।इस समय यहाँ कांग्रेस की हुकूमत थी और मिशनरी यहाँ हावी थे।हांलाकि इस विरोध के बावजूद वे प्रोटोकॉल के साथ जशपुर पंहुचे और यहाँ पुस्तकालय का उद्घाटन किया। 

जशपुर के कार्यक्रम से नागपुर लौटकर श्री शुक्ल ने यह बातें ठक्कर बप्पा को बताई तो उन्होंने 1949 में स्वर्गीय बाला साहब देशपांडे को बीईओ बनाकर जशपुर भेजा। यहाँ स्वर्गीय बालासाहेब देशपांडेय ने लगभग 108 स्कूलों की। यहाँ इस कदर मिशनरी हावी थे कि कुछ वर्षों तक कार्य करने के बावजूद यहाँ वनवासियों के जीवन स्तर में सुधार होता न देख उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूर्ण रूप से समाज कल्याण के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

जूदेव की पहली पदयात्रा  

1952 को जशपुर के पुराने पैलेस में बाला साहब देशपांडे के नेतृत्व में कल्याण आश्रम की स्थापना हुई।वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक बाला साहब देशपांडे ने स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव को प्रोजेक्ट किया। तब हिन्दू जागरण के लिए पहली बार जशपुर में कल्याण आश्रम के नेतृत्व में पदयात्राएं शुरु हुई।पहली पदयात्रा दुलदुला चौक से भितघरा तक हुई जिसका नेतृत्व स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव ने किया।इस पदयात्रा में प्रारम्भ में तो महज 50 लोग ही थे पर जब पदयात्रा भितघरा पंहुची तो यह कारवां 5 हजार से अधिक का हो गया।जिसके बाद सतत रामकथा चलने लगी,संत महात्माओं का जशपुर आना हुआ और माहौल बदलने लगा। यह क्रम 1952 से लगभग 32 वर्षों तक चलता रहा। 

आरा जमींदार स्वर्गीय शिव गोविंद साय जूदेव के करीबी मित्र रहे इसके बाद प्रकाश नायक सतत जूदेव जी के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलने वालों में से एक थे।स्वर्गीय जूदेव का विशेष पिछड़ी जनजाति राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं से विशेष लगाव था। खुड़िया दीवान उचित नारायण सिंह को जूदेव मामा बोलते थे।यहाँ की राजनीति में केराडीह,आरा और खुड़िया क्षेत्र से वे वोटों का ध्रुवीकरण करते थे। 

तब स्वर्गीय जूदेव रांची सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ के लौटे थे और युवावस्था को दिशा देने का काम स्वर्गीय बाला साहेब देशपांडेय ने किया।हिंदुत्व की रक्षा के लिए जूदेव द्वारा शुरु किए गए महाअभियान ने उन्हें ऑपरेशन घर वापसी का महानायक बना दिया। आरएसएस ने उन्हें पूरे देश में धर्मान्तरण के विरुद्ध आपरेशन घरवापसी का ऐसा चेहरा बनाया कि वे आज भी लोगों के दिलों में राज करने वाले महानायक बने। 

जशपुर में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना के बाद 1975 से जूदेव ने जशपुर की राजनीति में दखल दिया और राजनीति के पहले पायदान पर अपना कदम रखते हुए नगरपालिका चुनाव में पार्षद की सीट जीतकर वे नगर पालिका के उपाध्यक्ष बने।स्वर्गीय बालासाहब देश पांडेय इसके बाद स्वर्गीय जूदेव के राजनैतिक गुरु के रुप में चर्चित हुए। 

कल्याण आश्रम की रणनीति पर बीजेपी जीती 

उल्लेखनीय है कि 1984 के पहले जशपुर की सभी सीटें कांग्रेस के पास थी।इस दौरान कल्याण आश्रम के संस्थापक स्वर्गीय बालासाहेब देशपांडेय के कहने पर 1984 में जशपुर से गणेश राम भगत,तपकरा से नंदकुमार साय व बगीचा विधानसभा से विक्रम भगत को बीजेपी से उम्मीदवारी मिली और सभी सीटें बीजेपी के खाते में आई।गणेश राम भगत,नंदकुमार साय व विक्रम भगत कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता थे।जिसके बाद गणेश राम भगत लगातार विधायक और मंत्री बने और सक्रीय राजनीति में रहते हुए उन्होंने वनवासियों के उत्थान के लिए संघर्ष जारी रखा।इस बीच जूदेव राजनीति में सक्रीय बने रहे। 

जशपुर से शुरु हुआ डिलिस्टिंग का मुद्दा

पूर्व मंत्री गणेश राम भगत को कल्याण आश्रम की अनुसांगिक संगठन अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया।जिनके माध्यम से सतत वनवासी हितों की रक्षा के लिए धारदार तरीके से जनजागरण का कार्य किया जा रहा है।धर्मान्तरण,गौ तस्करी,गौ हत्या के विरुद्ध आदिवासी वनवासी अस्मिता की रक्षा के लिए सतत मुखर होकर गणेश राम भगत ने स्वर्गीय जूदेव के साथ मिलकर हिंदुत्व का झंडा ऊँचा रखने का कार्य किया।आज डिलिस्टिंग के मुद्दे को पूरे देश में हवा देने का काम गणेश राम भगत के नेतृत्व में जशपुर से किया गया। 

1988 में खरसियां चुनाव से शुरु हुआ रक्ततिलक 

अर्जुन सिंह 1988 में अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने खरसिया से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया।उस समय भाजपा ने जशपुर के कुमार दिलीप सिंह जूदेव को अपना उम्मीदवार बनाया था। यह ऐतिहासिक चुनाव भाजपा की हार के बावजूद जूदेव की विजय जुलूस के लिए याद किया जाता था। लगभग आठ हजार वोटों से अर्जुन सिंह जीते थे, इसलिए उन्होंने विजय जुलूस नहीं निकाला। इसके ठीक विपरीत  जय जूदेव के नारों के साथ जूदेव का भव्य विजय जुलूस निकाला गया। उन्हें नोटों की माला पहनाई गई। लड्डू,सिक्के,तलवार,फल और घी से तौला गया था।युवाओं में ऐसा जोश दिखा कि वे जूदेव का रक्ततिलक करने लगे। जिला मुख्यालय रायगढ़ से शुरू हुआ यह सिलसिला सालभर चला था। 

स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के चुनाव प्रचार और जुलूस की जिम्मेदारी संभालने वाले 20 से ज्यादा युवा नेता बाद में विधायक और सांसद चुने गए। तब पार्टी का विष्णुदेव साय,नंदकुमार साय,शक्राजीत नायक,विजय अग्रवाल, रोशनलाल अग्रवाल,गिरधर गुप्ता,लखीराम अग्रवाल व अन्य नेताओं ने कमान संभाला था।शिवराज सिंह चौहान,बृजमोहन अग्रवाल समेत बड़े नेता जूदेव के बेहद करीब रहे। 

इसके बाद पुरे देश में आपरेशन घर वापसी की लहर चली और बीजेपी ने राजनैतिक चेहरा बनाते हुए इन्हे सक्रिय किया। जिसके बाद स्वर्गीय जूदेव जांजगीर और बिलासपुर से लोकसभा का चुवाव जीतकर 2 बार सांसद व केंद्रीय मंत्री बने।तीन बार वे राज्सभा सांसद रहे। 

जूदेव बने स्टार प्रचारक 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बेहद करीब रहे जूदेव ने ऑपरेशन घर वापसी का नेतृत्व किया और पैर धोकर धर्मांतरित लोगों को वापस हिन्दू धर्म में लाने लगे।जिसके बाद इनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और छत्तीसगढ़ में अपनी मूछों को दांव पर लगाकर अजीत जोगी के विरुद्ध चुनाव लड़कर इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली और जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी ने जूदेव को स्टार प्रचारक बना दिया।सतत संघर्ष के बाद 2003 विधानसभा का परिणाम छत्तीसगढ़ के पक्ष में आया फिर लगभग 15 साल बीजेपी छत्तीसगढ़ में बीजेपी बनी रही।

हांलाकि छत्तीसगढ़ की राजनीति में जूदेव को भाजपा के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रचारित किया गया था।लेकिन नवंबर 2003 में एक स्टिंग ऑपरेशन में उन्हें “पैसा ख़ुदा तो नहीं पर ख़ुदा से कम भी नहीं” कह कर कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए कैमरे में दिखाया गया था। इस घटना के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था और ज़ाहिर तौर पर मुख्यमंत्री पद की उनकी दावेदारी भी ख़त्म हो गई थी। इस मामले में उन्हें लोगों का इतना समर्थन मिला था कि लोग उन्हें गलत मानने को तैयार नहीं थे अंततः उनकी जीत हुई और निर्दोष सिद्ध हुए। 

जूदेव के बाद आई अस्थिरता 

स्वर्गीय जूदेव वर्ष 2012 के शुरुआती दिनों में अस्वस्थ रहने लगे और दिसंबर 2012 में उनके बड़े बेटे शत्रुंजय प्रताप  के असमय निधन ने उन्हें तोड़कर रख दिया।इसके बाद उनके परिवार में सतत मौतों का सिलसिला चलता रहा।बड़े बेटे के निधन के बाद उनकी माँ का निधन हो गया।जिसके बाद वे लगातार अस्वस्थ रहने लगे और एक साल के अंतराल में 14 अगस्त 2013 को जूदेव पंचतत्व में विलीन हो गए। यह पल ऐसा था जब जूदेव की विरासत को सम्हालने वाला कोई नहीं था। 

यहाँ उभरे राजनैतिक अस्थिरता को सम्हालने के लिए संगठन ने उनके परिवार के वरिष्ठ रणविजय सिंह जूदेव को नेतृत्व दिया और स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के प्रति लोगों की ऐसी संवेदना मिली कि सभी सीट बीजेपी के खाते आ गई। इस जीत के बाद रणविजय सिंह जूदेव को राज्यसभा संसद भी बनाया गया।  

इसके बाद लगातार बीजेपी नेतृत्व विहीन हो गई और यहाँ आपसी टकराहट,गुटबाजी के साथ कल्याण आश्रम को दरकिनार करना बीजेपी के लिए भारी पड़ा।हिन्दू विरोधी शक्तियां हावी होती चली गई और अंततः जशपुर की सभी सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई।अब एक बार फिर से हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास शुरु कर दिया गया है।  

प्रबल ने सम्हाली जूदेव की विरासत 

इस बीच स्वर्गीय जूदेव के मंझले बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने स्वर्गीय जूदेव के विरासत को सम्हालने का बखूबी प्रयास किया। उन्होंने आपरेशन घर वापसी का कार्यक्रम जारी रखा है। वनवासी कल्याण आश्रम के मार्गदर्शन में वे उड़ीसा,झारखंड समेत छत्तीसगढ़ में सतत धर्मान्तरण के विरुद्ध ऑपरेशन घर वापसी का अभियान चला रहे हैं।प्रबल की सादगी और जूदेव जैसी मिलनसारिता से दिनों दिन अपने पिता के नक़्शे कदम पर मंजे हुए खिलाड़ी की तरह हिंदुत्व का झंडा बुलंद करते हुए अपना परचम लहरा रहे हैं।

जशपुर जिले में हिन्दू वोटों को एकजुट करने की दिशा में कार्य करना बीजेपी का पहला एजेंडा है जिससे खोई हुई सीटों को पुनः प्राप्त किया जा सके।वहीँ आरएसएस की सक्रियता से जहाँ मिशनरी खेमे में हलचल शुरु हो गई है वहीँ डिलिस्टिंग के मुद्दे पर अब कल्याण आश्रम की अनुसांगिक संगठन अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने आरपार की लड़ाई सड़क शुरु कर जनजागरण का कार्य शुरु  कर दिया है।आशंका जताई जा रही है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत डिलिस्टिंग के मुद्दे पर कुछ बड़ी बात सामने ला सकते हैं ला सकते हैं।उल्लेखनीय  कि डिलिस्टिंग के विरोध में ईसाई समुदाय  सड़क से संसद तक की लड़ाई की बात कर रहा है वहीँ कल्याण आश्रम की अनुसांगिक संगठन अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने जशपुर से इस मुद्दे को उठाकर पुरे देश में फैला दिया है। 
  

फिलहाल कल्याण आश्रम के अखिल  भारतीय महामंत्री योगेश बापट केंद्र प्रांत जशपुर के नेतृत्व में कल्याण आश्रम जशपुर द्वारा संघ प्रमुख मोहन भागवत के आगमन की तैयारी की जा रही है।कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष  स्वर्गीय जगदेव उरांव के बाद राम चन्द्र खराड़ी अध्यक्ष के रुप में कार्य कर रहे हैं।कल्याण आश्रम की अनुसांगिक संगठन जनजातीय सुरक्षा मंच लगातार क्षेत्र में जनसम्पर्क के माध्यम से कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। 

हिन्दू संगठनों को मिलेगा ऑक्सीजन

संघ प्रमुख मोहन भागवत के दौरे से पूरे प्रदेश में सुप्त पड़ी बीजेपी को जहाँ बल मिलेगा वहीँ जूदेव के मूर्ति अनावरण से एक बार फिर से जय जूदेव के नारों के साथ हिंदुत्व का झंडा बुलंद होगा। जिसका राजनैतिक लाभ बीजेपी को मिलेगा। सूत्रों की मानें तो संघ प्रमुख 14 नवम्बर को जशपुर प्रवास के दौरान स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की धर्मपत्नी माधवी देवी सिंह जूदेव व उनके बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव समेत परिवार के अन्य लोगों  से मुलाकात करेंगे।इस मुलाकात से जहाँ बीजेपी को ऑक्सीजन मिलेगा वहीँ राजनैतिक जानकारों की मानें तो अपने पिता की विरासत को सम्हालने वाले जनमान्य नेता प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को क्षेत्र की राजनीतिक बागडोर सौंपी जा  सकती है।इसके साथ ही पुनः ऑपरेशन घर वापसी के फायर ब्रांड नेता के रुप में आरएसएस प्रबल को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।प्रदेश में उत्तर छत्तीसगढ़ से बीजेपी ने हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण का कार्य शुरु कर दिया है। यह हवा चल गई तो निश्चित ही पुरे प्रदेश में बीजेपी पुनः नई शक्ति के  रुप  में सामने आएगी।   

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