जशपुर,टीम पत्रवार्ता,28 जुलाई 2022
BY योगेश थवाईत
पत्थलगांव के सिविल अस्पताल में ड्यूटी कर रहे डॉ विकास गर्ग की याचिका पर हाईकोर्ट ने सूरज सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जशपुर पुलिस को दिया है।आपको बता दें कि सूरज सिंह पत्थलगांव विधायक रामपुकार सिंह के नाती हैं।
उल्लेखनीय है कि 31 मई को पत्थलगांव सिविल अस्पताल में दोनों पक्षों के बीच हुए विवाद में पूर्व में पत्थलगांव थाने में सूरज सिंह ठाकुर की शिकायत पर पुलिस ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष पवन अग्रवाल समेत उनके पुत्र डॉ विकास गर्ग व नीरज अग्रवाल के विरुद्ध आईपीसी की धारा 294,506,323,34 व एसटीएससी एक्ट की धारा 3(1) (द) (ध) के तहत जुर्म दर्ज किया था।
वहीं पत्थलगांव थाना समेत जशपुर एसपी के पास सूरज सिंह के विरुद्ध डॉ विकास गर्ग ने शिकायत की थी।जिस पर कोई कार्यवाही नहीं होने से डॉ विकास गर्ग ने अपने वकील अभिषेक सिन्हा व समर्थ सिंह के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सूरज सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की थी।
डॉ विकास गर्ग ने याचिका में कहा
याचिकाकर्ता डॉ विकास गर्ग ने अपनी याचिका में कहा है कि वह एक डॉक्टर हैं और 31.05.2022 को पत्थलगांव में ड्यूटी करते समय राजनीतिक रसूख रखने वाले वाले व्यक्ति ने उसके साथ मारपीट, गाली-गलौज की।जिसकी शिकायत उन्होंने 06.06.2022 को की इसके बावजूद उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।
याचिकाकर्ता के वकील ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले (2014) 2 एससीसी 1 में सीधे उल्लंघन है बताते हुए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और शिकायत की जांच करने का निर्देश दिए जाने की मांग माननीय हाईकोर्ट से की थी।
उक्त मामले में घटना को अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा भी देखे जाने का उल्लेख याचिका में किया गया है।याचिकाकर्ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को सूरज सिंह ठाकुर के खिलाफ एक रिपोर्ट दी गई थी, जो पत्थलगांव पुलिस को 07.06.2022 को प्राप्त हुई थी। उक्त रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि संज्ञेय अपराध की सूचना दी गई थी और प्रथम दृष्टया छत्तीसगढ़ मेडिकेयर सर्विस पर्सन्स एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और क्षति या संपत्ति के नुकसान की रोकथाम) अधिनियम, 2010 के तहत भी आरोप लगाए गए थे।इसके बावजूद मामले में पत्थलगांव पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया था।
हाईकोर्ट का निर्देश
जब संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है, तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य होती है,इसलिए ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में निर्धारित सिद्धांतों का पालन करते हुए,पुलिस को एफआईआर करने का निर्देश दिया जाता है।
ललिता कुमारी के मामले में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकी दर्ज करें और इसकी जांच करें और इस आदेश की एक प्रति प्राप्त होने के दो सप्ताह के भीतर जांच शुरू करें।
बहरहाल मामले में एडिशनल एसपी प्रतिभा पांडेय ने बताया कि उन्हें उच्चाधिकारियों द्वारा कोई निर्देश नहीं मिला है।हाईकोर्ट संबंधी मामले विधि शाखा में आते है जिसके बाद उसमें निर्देश के अनुसार कार्यवाही की जाती है।हांलाकि याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट के आदेश की सत्यापित प्रति पत्थलगांव थाने में जमा कराते हुए पावती लेने की बात कही गई है।अब देखना होगा कि जशपुर की पत्थलगांव पुलिस उक्त निर्देशों का पालन कब तक करती है।
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