जशपुर,टीम पत्रवार्ता,20 जुलाई 2022
BY योगेश थवाईत
जशपुर जिले में शिक्षा विभाग लगातार सुर्ख़ियों में है। बगीचा विकासखंड के भड़िया पाठ में ठेकेदार व लोक निर्माण विभाग की लापरवाही के कारण हाईस्कूल के बच्चे पिछले 6 साल से अतिरिक्त कक्ष में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।वर्ष 2018 के स्वीकृत हाईस्कूल भवन का कार्य आज पर्यन्त तक अधूरा है जिसके कारण अब तक न तो हाईस्कूल का उद्घाटन हुआ और न ही यहाँ कक्षाएं शुरु हो सकीं।सबसे बड़ी बात यह कि लोक निर्माण विभाग के रिकार्ड में हाईस्कूल भवन का कार्य पूर्ण बताया जा रहा है जबकि आज भी मौके पर ठेकेदार के आदमी काम में लगे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में शासन ने बगीचा विकासखंड के भड़ियापाठ में विद्यार्थियों की सुविधा व बेहतर शिक्षा के लिए हाईस्कूल की स्वीकृति दी थी।जिसके बाद भड़िया के माध्यमिक शाला परिसर में उक्त हाईस्कूल की शुरुआत की गई। आज हाईस्कूल के कक्षा नवमीं में 66 बच्चे हैं वहीँ कक्षा दसवीं में 50 बच्चे हैं। आलम यह है कि इसी परिसर में माध्यमिक स्कुल व् प्रायमरी स्कुल की कक्षाएं भी संचालित हो रहीं हैं। अतिरिक्त कक्ष में हाईस्कूल के बच्चे बैठने को मजबूर हैं।आपको बता दें कि भड़िया से लगभग 15 किलोमीटर की दुरी पर सुलेसा,रौनी व पंडरापाठ में हाईस्कूल है जहाँ दुरी की अधिकता को देखते हुए शासन ने भड़िया में हाईस्कूल की स्वीकृति दी थी।
बात करें लोक निर्माण विभाग द्वारा बनवाए जा रहे नवीन हाईस्कूल भवन की तो ठेकेदार ने अब तक कार्य पूर्ण नहीं किया है। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2018 में हाईस्कूल के नए भवन का निर्माण कार्य शुरु हुआ था जिसमें लगभग 10 कमरों के साथ टॉयलेट बाथरुम का निर्माण कराया जा रहा है।आज तक भवन में ठेकेदार के लोग सिविल कार्य करते नजर आ रहे हैं। पुट्टी,पेंट,टाईल्स,शौचालय,बाथरूम का कार्य अब तक अधूरा है।वहीँ ग्रामीणों ने बताया कि बेहद धीमी गति से कार्य किया जा रहा है इसके साथ ही कार्य की गुणवत्ता भी बेहद घटिया है जिसपर जाँच की आवश्यकता है।भवन में बिजली का कार्य अब तक नहीं हुआ है वहीँ नए भवन में पानी की व्यवस्था अब तक नहीं हुई है। स्कुल कैम्पस का बोर भी खराब बताया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग के EE जीआर जांगड़े ने बताया कि यह स्वीकृति बहुत पुरानी है विभागीय रिकार्ड में सिविल कार्य पूर्ण दिख रहा है।बिजली का कार्य अधूरा है जिसके लिए दूसरे ठेकेदार हैं।यदि सिविल कार्य अधूरा है तो तत्काल उसे पूर्ण करने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया जाएगा।
बहरहाल विभागीय उदासीनता और ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा नौनिहालों को उठाना पड़ रहा है। शासन ने जिस तत्परता से भवन की स्वीकृति दी उस तत्परता के साथ विभागीय मॉनिटरिंग होती तो आज निश्चित ही विद्यार्थी नए भवन में अध्ययन कर रहे होते। अब देखना होगा कि जिले के कलेक्टर रितेश अग्रवाल विद्यार्थियों की समस्या का समाधान कब तक करते हैं।
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