जशपुर,टीम पत्रवार्ता,06 मई 2022
BY योगेश थवाईत
एक और जहाँ सरकार लगातार विकास के दावों को सच करने की कवायद में लगी है वहीँ दूसरी ओर प्रशासनिक अकर्मण्यता के कारण विकास के सारे दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं।दरअसल जशपुर जिले के बगीचा क्षेत्र से ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि वाकई विकास की जमीनी हकीकत क्या है...?
देखिए वीडियो और समझिये पुरे मामले को
मामला है जशपुर जिले के बगीचा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत महनई के बांसाझरिया का है जो आज तक पंहुचविहीन बना हुआ है।आप देख सकते हैं वीडियो में कांवर में दो लोग जिसे अपने कंधो पर उठाकर ला रहे हैं वह पिछड़ेपन का दंश झेलती आदिवासी महिला है जो पिछले एक सप्ताह से रक्तस्राव की गंभीर बिमारी से पीड़ित है।अशिक्षा व अज्ञानता के कारण ग्रामीण स्तर पर झांड़फूंक के माध्यम से ठीक कराने का प्रयास परिजन कर रहे थे।जब गाँव के युवक आशीष को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने सुबह 6 बजे के आसपास 108 संजीवनी को इसको जानकारी दी।जिसके बाद अपने तय समय पर 108 महनई के लोटाडाँडी तक पंहुच गई।यहाँ पंहुचने के लिए एमटी अमीना मिंज व टीकम साय राजवाड़े 108 की टीम ने कड़ी मशक्कत की कई जगहों पर रोड गायब होने के कारण खुद से पत्थर मिटटी डालकर गाँव से कुछ दूर तक वे पंहुच गए।इसके बाद भी वे महिला के गाँव तक पहुंचने में असफल रहे।
अंततः बांसाझारिया पंहुचने के 1 किलोमीटर पहले सड़क का नामोनिशान नहीं था लिहाजा वहीँ एम्बुलेंस खड़े करके मरीज को ढूंढने का प्रयास किया गया।सड़क व नेटवर्क की दिक्कत के कारण काफी दिक्कतों का सामना करते हुए अटेंडर के माध्यम से मरीज को कांवर में ढोकर 108 तक पंहुचाया गया।सड़क के अभाव में महिला मरीज के गाँव तक एम्बुलेंस नहीं पंहुच सकी।2 घंटो की कड़ी मशक्कत के बाद जब महिला मरीज को कांवर में ढोकर एम्बुलेंस तक लाया गया तो प्राथमिक चिकित्सा शुरु कर उसे दोपहर 12 बजे तक बगीचा अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया।जहाँ महिला का ईलाज चिकित्सकों ने शुरु कर दिया है।
महिला मरीज के पुत्र घिर्रु ने बताया कि उनके गाँव बांसझरिया में दर्जनों परिवार निवासरत हैं जहां पंहुचने के लिए आज भी कोई सड़क नहीं है।उसने यह भी बताया कि गाँव में पेयजल के लिए बोरिंग भी नहीं है।वहीँ सौर लाईट के भरोसे उनका जीवन चल रहा है।ग्राम पंचायत महनई के अंतर्गत आने वाला यह गाँव आज भी विकास से कोसों दूर है व पंहुचविहीन बना हुआ है।
सरकारी योजनाएं कागजों तक सिमट कर रह जाती हैं वहीँ ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पाता।आपको बता दें कि प्रधानमंत्री सड़क,मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना,समग्र,पिछड़ा विकास प्राधिकरण,अधोसंरचना,कोरवा विकास प्राधिकरण,15 वे वित्त,मनरेगा समेत दर्जनों ऐसी योजनाएं है जिससे 1 किलोमीटर सड़क का कार्य आसानी से कराया जा सकता था।
यहाँ ग्राम पंचायत की उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही सरकारी योजनाओं को कांवर में ढोने पर मजबूर करती दिखाई दे रही है।जरुरत है कुर्सी से उठकर फील्ड में उतरने की जिससे ऐसे दूरस्थ पंहुचविहीन इलाकों को चिन्हित कर विकास की जमीनी हकीकत को साकार किया जा सके जिससे ग्रामीणों को मुलभुत सुविधा मिल सके।
मामले में बगीचा एसडीएम प्रताप विजय खेस्स से बात की गई तो उन्होंने यहाँ खुद जाकर वस्तुस्थिति से अवगत होकर इस समस्या के समाधान की बात कही।खबर के बाद स्थानीय प्रशासन ने तत्काल ग्राम पंचायत को निर्देशित किया है।बगीचा जनपद पंचायत के सीईओ विनोद सिंह ने बताया की उन्हें मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है उन्होंने तत्काल एसडीओ,इंजीनियर को निर्देशित करते हुए प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन को भेजने की बात कही है।
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