जशपुर,टीम पत्रवार्ता,20 सितंबर 2021
BY योगेश थवाईत
छत्तीसगढ़ युवा दिलों की धड़कन युद्धवीर सिंह जूदेव "छोटू बाबा",का निधन हो गया है। छत्तीसगढ़ ने फिर से एक बाहुबली, दबंग, बेबाक बोलने वाला नेतृत्व खो दिया।बेंगलुरु में उनका इलाज चल रहा था।इस खबर के बाद समर्थकों को बड़ा सदमा, लगा है।कम उम्र में कई बड़ी जिम्मेदारियां के निर्वहन के बाद दुखद अंत से राजनीतिक गलियारे में मातम पसरा गया है। जिला पंचायत सदस्य से विधायक, संसदीय सचिव और बहुजन हिन्दू परिषद के अध्यक्ष जैसी जिम्मेदारी के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार और बेबाकी के लिए बहुचर्चित नेतृत्व युद्धवीर सिंह जूदेव नहीं रहे। युद्धवीर सिंह जूदेव का दुखद निधन हो गया। वे कुछ दिनों से लीवर की समस्या को लेकर परेशान थे और उनका इलाज चल रहा था। आखरी समय में उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था लेकिन उन्हें बचाने में चिकित्सक सफल नहीं रहे।बैंगलोर से पार्थिव शरीर जशपुर के विजय विहार पैलेस लाने की तैयारी की जा रही है।संभवतः कल अंतिम संस्कार किया जाएगा।
राजा रणविजय सिंह जूदेव ने शोक जताया है और इसे पूरे प्रदेश के लिए बेहद दुःखद बताया है।सांसद गोमती साय ने कहा एक युग का अंत हो गया।जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनी भगत ने कहा हमने युवा नेतृत्व खो दिया।
अंततः युद्धवीर सिंह जूदेव जिंदगी की जंग हार गए। युद्धवीर सिंह जूदेव के निधन की खबर से लोग सदमे में हैं। युद्धवीर सिंह जूदेव बेबाक बोल के लिए विपक्ष में रहते हुए भी चर्चित रहे। वहीं सत्ता में कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए भी अपने राजनीतिक जीवन में विशिष्ट पहचान स्थापित की थी। बहुत ही कम उम्र में जिला पंचायत उपाध्यक्ष से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी, जिसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इसके बाद दो बार चंद्रपुर से भाजपा के टिकिट पर दो बार विधायक रहे और संसदीय सचिव पहले विधायक कार्यकाल में और दूसरे विधायक काल मे बेवरेज कारपोरेशन के अध्यक्ष रहे। इसके बाद विपक्ष में रहते हुए भी दमदारी से हर एक मुद्दे पर वे बोलते रहे।
अपने जीवन के अंतिम समय में अस्वस्थ रहते हुए भी उन्होंने भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दों को लेकर मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से आवाज उठाते रहे।युद्धवीर सिंह के लिए निधन से छत्तीसगढ़ की राजनीतिक समीकरणों में खासा प्रभाव पड़ेगा। वह एक ऐसे नेता थे जो हर एक बड़े निर्णय में बिना किसी के सहारे बेबाकी से आगे बढ़ते रहे और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
जीवन के आखिरी पड़ाव में उन्होंने बहुजन हिंदू परिषद की कमान संभाली और हिंदुत्व के लिए जहां बेबाकी से बोलते रहे वहीं भ्रष्टाचार तथा शासन प्रशासन की अनियमितताओं को लेकर तथा राज्य की ज्वलन्त समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद करते रहे, जिसके बाद अल्पायु में ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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