जशपुर,टीम पत्रवार्ता,17 अगस्त 2021
BY योगेश थवाईत
जशपुर जिले में लगातार गजराज आक्रामक होते जा रहे हैं।पिछले दो दिनों में 2 मौत के बाद ग्रामीण दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं।इधर वन अमला ग्रामीणों को जागरुक करते हुए हाथी से दूर रहने की अपील कर रहा है वहीं शासन प्रशासन द्वारा मुआवजे का मरहम लगाकर इस समस्या पर कुछ राहत देने का प्रयास किया जा रहा है।हांलाकि पुरे प्रदेश में इस समय की सबसे बड़ी समस्या हाथी है जिससे लोग असुरक्षित हैं।वहीँ इस समस्या पर सांसद गोमती साय ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को कटघरे में लाकर खड़े कर दिया है।
सांसद गोमती साय का कहना है कि पुरे प्रदेश में पिछले एक वर्ष में लगभग 14 हाथियों की मौत हो चुकी है वहीँ हाथियों के हमले में लगभग 1 हजार ग्रामीण अपनी जान गवां बैठे हैं।हाथियों के सुरक्षित क्षेत्र कोरिडोर के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार ने लेमरु प्रोजेक्ट की स्वीकृति दे दी है इसके बावजूद प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन पर नाकाम साबित हो रही है।
उल्लेखनीय है कि जशपुर जिले के तपकरा वन परिक्षेत्र के केरसई बरटोली में कल हाथी ने एक महिला को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया था वहीं बाबू साजबहार में आज सुबह शौच के लिए निकले एक ग्रामीण पर भी हाथी ने हमला कर दिया और उसकी मौत हो गई।लगातार जिले में हाथी से मौतों का सिलसिला जारी है।वहीँ हाथी और मानव के बीच द्वन्द से लगातार जानमाल की क्षति हो रही है।
बहरहाल हाथी से मौत पर जिला प्रशासन पुरी तरह से अलर्ट है जो तत्काल मुआवजा देकर पीड़ित परिवार की सहायता करता है।वहीं वन विभाग समेत पुलिस प्रशासन भी पुरी मुस्तैदी से औपचारिकता पुरी करते नजर आता है।सबसे बड़ी बात यह कि बीजेपी शासन काल में स्वर्गीय जूदेव ने हाथी कॉरिडोर की मांग की थी जिसे केंद्र की बीजेपी सरकार ने स्तीवीकृत करते हुए राज्य सरकार को लेमरु प्रोजेक्ट की सौगात दी।इधर कॉंग्रेस ने लेमरु प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु किया वह भी विवादों में आने के बाद खटाई में चला गया।फिलहाल कोरिडोर को लेकर प्रदेश के सत्ता दल के विधायकों के बीच आपसी सहमती नहीं बन पाई है।
केंद्रीय व राज्य स्तर पर अब तक हाथी से हो रही मौतों पर कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया गया।यहां के सासंद विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने मुखर होकर कोई मांग नहीं की अब तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा सकी।जो योजना बनी उसका क्रियान्वयन भी नहीं किया जा सका है।जशपुर जिले के एकमात्र बादलखोल अभ्यारण्य में लगातार हाथियों की आवाजाही है वहीँ इनका बसेरा भी है।यहां भी हाथियों को जंगल मे रोकने के कोई कारगर उपाय अब तक नहीं किए जा सके हैं।
फिलहाल हाथी समस्या पर केंद्र व राज्य सरकार के साझा प्रयास से बिना राजनीति के ठोस कदम उठाने की जरुरत है जिससे मानव और हाथी के बीच द्वन्द के फलस्वरूप परिवारों को उजड़ने से रोका जा सके।
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