जशपुर,टीम पत्रवार्ता,24 जुलाई 2021
BY योगेश थवाईत
जशपुर के राजा देवशरण जिला चिकित्सालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की कलई जांच टीम खोल कर रख दी है।पांच सदस्यीय जांच टीम को लगभग 12 करोड़ की अनियमितता मिली है। जिसमें सिविल सर्जन एफ खाखा,आरएमओ अनुरंजन टोप्पो समेत अन्य स्टाफ ने मिलकर बिना क्रय भण्डार नियमों के फर्जी खरीदी कर शासकीय पैसे का जमकर बंदरबाट किया है।उक्त मामले में पत्रवार्ता ने जिला प्रशासन द्वारा किए गए जांच रिपोर्ट के आधार पर जब मामले का खुलासा किया तो बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तत्काल दोषी अधिकारीयों पर एफआईआर दर्ज कर शासन स्तर पर कार्यवाही करते हुए दोषियों से शासकीय पैसों की रिकव्हरी की मांग की है।
जिसमें से प्रमुख अधिकारी सिविल सर्जन,आरएमो व कर्मचारी अब भी अपने पदों पर कुंडली मार के बैठे हुए हैं।जाँच रिपोर्ट के अनुसार पिछले 2 वषों में लगभग 12 करोड़ की अनियमितता की बात सामने आई है जिसकी जाँच रिपोर्ट कलेक्टर ने शासन को भेज दी है।जिसमें जाँच के बाद अब लोगों को कार्यवाही का इंतज़ार है वहीँ पूर्व मंत्री ने तत्काल दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
अब तक बनी हुई है पैसों की गर्मी
दरअसल भ्रष्टाचार की जडें इस कदर जमी हुई हैं कि इन अधिकारियों को किसी बात का डर नहीं।जिसके कारण अब तक यहाँ वहां पैसे बांटकर मामले को दबाने की बातें भी सामने आ चुकी हैं।वहीँ जांच टीम ने निष्पक्षता से मामले की जांचकर एक बार फिर से इन भ्रष्ट अधिकारीयों को कटघरे में लाकर खड़े कर दिया है।पूर्व मंत्री ने जाँच टीम व जिला प्रशासन का धन्यवाद किया है और कहा कि निष्पक्षता से जाँच कर टीम ने अपना काम पूरा किया अब शासन को तत्काल दोषियों पर एफ़आईआर दर्ज कर कार्यवाही करना चाहिए।
न्यायालय को दी गई गलत जानकारी
आपको जानकर हैरानी होगी जब जिला अस्पताल के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ तो जिला प्रशासन ने व्यवस्था के तहत कार्य करने के लिए आरएमओ अनुरंजन टोप्पो को फरसाबहार भेज दिया जिसे न्यायालय में तबादला बताकर कलेक्टर के आदेश पर स्थगन ले लिया गया और पुनः जिला अस्पताल में डा साहब वापस आ गए।कोर्ट में यह भी तर्क दिया गया कि क्लास 1 अधिकारी का तबादला कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और ऐसा किया गया है।जबकि सच्चाई यह है कि डा अनुरंजन टोप्पो का तबादला किया ही नहीं गया।कलेक्टर ने व्यवस्था के तहत फरसाबहार में कार्य करने के लिए डा टोप्पो को आदेशित किया था जबकि उनकी पदस्थापना आज भी जिला अस्पताल में ही है।
दोष सिद्ध होने के बाद भी पदों पर दोषी
जाँच टीम की जाँच रिपोर्ट सामने आने के बाद भी दोषी अधिकारी कर्मचारी अब तक अपने पदों पर बने हुए हैं जिसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।दरअसल आरोप लगने के बाद प्रारम्भिक जाँच में गलतियाँ सामने आने पर तत्काल निलंबन के बाद जांच पूरी की जाती है।यहाँ पूरी जाँच होते तक अधिकारी कर्मचारी अपने पदों पर बने रहे वहीँ गलतियों को भरपूर छिपाने का प्रयास भी किया गया।इसके बावजूद गलतियाँ सामने आ गई।बताया जा रहा है कि इसके अलावा भी काफी गलतियाँ हैं जो काफी गंभीर हैं।जब तक दोषी अधिकारी कर्मचारी पदों पर रहेंगे उन गलतियों को सामने नहीं लाया जा सकता।12 करोड़ की अनियमितता सामने आने के बाद एक सिरे से दोषियों की जिम्मेदारी और अनियमितता को देखते हुए कार्यवाही किया जाना चाहिए।
डेढ़ माह तक दबा दिया गया मामला
कहते हैं सत्ता का रसूख और पैसे की महक कुछ भी करा सकती है।जांच टीम ने लगभग 20 दिनों में अपनी जाँच रिपोर्ट पूरी कर जिला कलेक्टर को सौंप दी थी। जिसके बाद जिला प्रशासन ने पत्र क्रमांक 1176 दिनांक 13 जून 2021 के माध्यम से पूरी जांच रिपोर्ट संचालक संचालनालय, स्वास्थ्य सेवाएँ रायपुर को भेज दी थी।लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी शासन स्तर पर दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई जिसके कारण अब तक सभी दोषी अधिकारी कर्मचारी अपने पद पर बने हुए हैं।जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
ऐसे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों से निश्चित ही शासन की छवि खराब होती है।फिलहाल मामले में शासन स्तर पर कब तक कार्यवाही होती है यह देखने वाली बात है।
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