... असंवेदनशीलता: "कोरोना जांच की कतार में गर्भवती" "दर्द ने तड़पाया" अंततः "गर्भवती महिला" ने "व्हीलचेयर" पर बच्चे को दिया जन्म,अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही आई सामने...अब तक नहीं हुई कार्यवाही

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असंवेदनशीलता: "कोरोना जांच की कतार में गर्भवती" "दर्द ने तड़पाया" अंततः "गर्भवती महिला" ने "व्हीलचेयर" पर बच्चे को दिया जन्म,अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही आई सामने...अब तक नहीं हुई कार्यवाही

 

कोरबा,टीम पत्रवार्ता,10 मई 2021

छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्वास्थ्य विभाग का गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है।जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने असंवेदनशीलता का परिचय देते हुए दर्द से कराह रही गर्भवती महिला को कोरोना जांच के लिये कतार में खड़े कर दिया।यहां काफी देर तक जांच नहीं होने के कारण दर्द बढ़ता गया और व्हीलचेयर पर ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया।इस घटना ने छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।फिलहाल माँ व् बच्चे दोनों स्वस्थ हैं।

मामला है कोरबा के जिला अस्पताल का जो अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानक प्राप्त अस्पताल है।दरअसल कोरबा का जिला अस्पताल आईएसओ प्रमाणित है।आज इस घटना ने न केवल अस्पताल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिया बल्कि मानवीय मूल्यों पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

आज सुबह नकटीखार निवासी 27 वर्षीय गनेशिया बाई मंझवार को जिला अस्पताल लाया गया था।वह गर्भवती थी और दर्द से तड़प रही थी,जिला अस्पताल में भर्ती कराने से पहले उसे यहाँ तैनात कर्मचारियों ने कोरोना जांच कराने को कह दिया गया।मितानिन और उसके परिजन महिला को व्हीलचेयर पर बैठाकर जिला अस्पताल के बाहर परिसर में लेकर पहुंचे जहाँ कोविड का जाँच किया जा रहा था।यहाँ जांच केंद्र में लंबी लाईन लगी हुई थी सुबह 9 बज चुके थे बावजूद इसके कोरोना जांच शुरु नहीं हुआ था। सैंपलिंग शुरु होने के बाद भी उसका नंबर बहुत पीछे था।

कोरोना जाँच की कतार में बच्चे को दिया जन्म

लम्बे समय से व्हीलचेयर पर अपनी पारी का इंतज़ार करते हुए गनेशिया बाई के पेट में जोर से दर्द उठने लगा, और वह तड़पने लगी।तभी उसने व्हीलचेयर पर अपने बच्चे को जन्म दे दिया।कतार में खड़े सभी लोग हैरान हो गए।आनन फानन में बाद मां और बच्चे दोनों को तत्काल व्हीलचेयर के सहारे ही जिला अस्पताल लाया गया,तब जाकर जांच शुरू हुई और माँ बच्चे की देखरेख शुरू हुई।

गर्भवती महिला को भी पारी का इंतज़ार 

प्रसूता गनेशिया बाई के पति देवानंद ने बताया कि जिला अस्पताल में उसकी पत्नी को भर्ती कराने के लिए लाया गया था।यहाँ कोरोना जांच करवाने के लिए उन्हें लम्बे लाईन में खड़े का दिया गया।सुबह कोरोना जांच केंद्र बंद रहने के कारण उसे निजी अस्पताल भी लेकर गए पर कहीं कोरोना टेस्ट नहीं हो सका।इस दौरान पत्नी दर्द से कराह रही थी और दर दर की ठोकरें खाने के बाद वह जिला चिकित्सालय के कोविड जाँच केंद्र में तड़पते हुए अपनी पारी का इंतज़ार करने लगी।भले ही यहाँ के असंवेदनशील चिकित्सकों न उसके दर्द को अनसुना कर दिया लेकीन भगवान ने उसकी सुन ली और कोरोना जांच केंद्र के बाहर ही उसने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया।

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही है

देवानंद ने यह भी बताया कि उसकी शादी के 4 साल बाद उनका यह पहला बच्चा है।अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए उसने कहा कि आपातकालीन परिस्थिति में प्रसूता का जांच जिला अस्पताल में ही हो जाता,तो उसे इतना भटकना नहीं पड़ता और लम्बे  लाईन में खड़े होने की जरुरत नहीं पड़ती यह  प्रबंधन की सरासर लापरवाही है जिसके कारण ऐसी दर्दनाक स्थिति निर्मित हुई।देवानंद ने बताया कि डिलीवरी के बाद मां और बच्चे का कोरोना सैंपल लिया गया दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है मां और बच्चे दोनों स्वास्थ्य हैं।

इस घटना से एक बार सिस्टम की खामी फिर से सामने आई है वहीँ सरकार की जननी सुरक्षा योजना के साथ सरकार की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में हैं।

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