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खबर पत्रवार्ता : करोड़ों" के "फर्जीवाड़े" के पीछे कौन..? पिछले 10 वर्षों से RMO सम्हाल रहे CS के आहरण संवितरण की जिम्मेदारी,जशपुर जिला अस्पताल में कौन है -"रबर स्टाम्प" ,कैसे होगी फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जाँच...? जानें जिला प्रशासन का अगला कदम..सारे सवालों के जवाब सिर्फ पत्रवार्ता पर.......? पढ़ें पूरी खबर

 


जशपुर,टीम पत्रवार्ता,26 मई 2021

जब आपको अपने अधिकारों का ज्ञान न हो तो आप किसी के कहने पर वह सब कुछ करने लगते हैं जो आपको नहीं करना चाहिए और अगर आप सबकुछ जानबूझकर कर रहे हैं तो समझ लिए इस कार्य में आप भी संलिप्त हैं।जशपुर के जिला चिकित्सालय में लम्बे समय से नियम विरुद्ध खरीददारी,फर्जी बिल लगाकर आहरण और करोड़ों का वारा न्यारा करने का यह कोई नया मामला नहीं हैं दरअसल वर्तमान के 2 वर्षों में हुई खरीददारी से यह फर्जीवाडा सामने आ गया

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2008 के बाद से स्वास्थ्य विभाग ने खरीदी के लिए कोई निविदा आमंत्रित नहीं की है जबकि फर्जी खरीदी और बिल भुगतान का सिलसिला तब से अनवरत चला आ रहा हैजिसमें अब जिला प्रशासन ने जाँच कार्यवाही शुरु कर दी है  

अटैच कर दिया गया डीडीओ पावर

बात करें भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके जिला चिकित्सालय जशपुर की तो यहाँ सिविल सर्जन डॉ एफ खाखा क्लास 1 अधिकारी के रुप में पदस्थ हैं जिनके ऊपर पुरे जिला चिकित्सालय की जिम्मेदारी है।अब क्लास 1 अधिकारी हैं तो जाहिर सी बात है आहरण संवितरण अधिकार (डीडीओ पावर) भी इन्हीं के पास होना चाहिये जबकि जिला चिकित्सालय में इसके ठीक विपरीत आहरण संवितरण के लिए आरएमओ क्लास 2 अधिकारी अनुरंजन टोप्पो पिछले 8 वर्षों से अधिकृत हैं।फिलहाल उनका प्रमोशन हो गया है और पिछले कुछ महीनों से वे भी क्लास 1 अधिकारी बन गए हैं।बताया जाता है कि आरएमओ की मंशा के अनुरूप ही काम होता है अगर कोई उनकी मंशा के विपरीत हिमाकत कर ले तो उनकी छुट्टी  कर दी जाती है

जिले में अटैच कर चला फर्जीवाड़े का खेल 

मिली जानकारी के मुताबिक डॉ अनुरंजन टोप्पो की पदस्थापना पत्र क्रमांक एफ-1-115/2004/सत्रह/एक दिनांक 03 मार्च 2006 के अनुसार  मनोरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई थी।जहाँ कुछ वक्त बिताने के बाद इन्हें जिला चिकित्सालय जशपुर में अटैच कर दिया गया और वर्ष 2012-13 से इन्हें डीडीओ पावर दे दिया गया।जिसके बाद से कभी खरीदी के लिए न निविदा निकली न नियमों का पालन हुआ और फर्जीवाड़े का खेल चलता रहा।हांलाकि जाँच के लिए तथ्यों का अम्बार है इसके बावजूद हर जाँच पर पर्दा डाल दिया जाता है।लम्बे समय से नियम विरुद्ध खरीदी का खेल चलता रहा जिसमें जाँच से तमाम फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता है

निष्पक्ष जाँच पर उठने लगे सवाल 

सबसे बड़ी बात जिला प्रशासन के सामने सब कुछ स्पष्ट होने के बाद भी जाँच को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं।पहले भी जिला अस्पताल के कई गंभीर मामले सामने आ चुके हैं जिसमें जाँच के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को रफा दफा किया जा चूका है।फिलहाल कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जशपुर की जिम्मेदारी डॉ एफ खाखा पर है वहीँ उनके सहयोगी के रुप में सीएस के आहरण संवितरण की जिम्मेदारी पिछले 8आठ वर्षों से आरएमओ डॉ अनुरंजन टोप्पो सम्हाल रहे हैं।जब तक सीएस व डीडीओ अधिकारी को हटाया नहीं जाता तब तक मामले की निष्पक्ष जाँच नहीं हो सकती

फिलहाल जिला प्रशासन द्वारा मामले में टीम गठित कर जाँच की बात कही गई है।अब देखना होगा कि कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जशपुर के करोड़ों क फर्जीवाड़े पर जाँच कब तक हो पाती है और दोषियों पर कार्यवाही होती है या उन्हें क्लीन चीट दे दिया जाता है 

अगली खबर का इंतज़ार करें .....

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