जशपुर,टीम पत्रवार्ता,29 जुलाई 2020
छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल जशपुर में विकास के सरकारी दावों की पोल खोलने वाली खबर सामने आई है।जहां सरकारी तंत्र महज दिखावा बनकर रह गया।देर रात एक बीमार महिला इलाज के लिए तड़पती रही और उसे अस्पताल लाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिली।गांव के सरपंच ने हिम्मत दिखाते हुए मानवता का परिचय दिया और उसके परिजनों के साथ मिलकर चारपाई में लिटाकर अंधेरी रात में मशाल की रोशनी में 2 किलोमीटर पैदल लेकर मुख्य मार्ग तक पंहुचे।जहां से वाहन की व्यवस्था करके उसे बगीचा अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टर ने महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसका प्राथमिक ईलाज भी नहीँ किया और उसे बड़े अस्पताल जाने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
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मामला है जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड का जहां तांबाकछार गांव के आश्रित ग्राम जबला में देर रात एक महिला की तबियत बिगड़ी और उसे रक्त स्त्राव शुरु हो गया।देखते ही देखते उसकी तबियत काफी बिगड़ गई और वह गंभीर हो गई।जबला गांव की स्थिति इतनी भयावह है कि यह आज भी यह गांव विकास की मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।यहां पंहुचने के लिए ग्रामीणों को सड़क,नदी में पुल व बिजली तक मयस्सर नहीं।
जबला गांव से तांबाकछार तक परिजनों ने पीड़ित महिला को चारपाई में लिटाकर कंधो में लादकर 2 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया।जहां बिजली न होने के कारण मशाल की रोशनी में उन्होंने बहती नदी को पार किया और वाहन तक पंहुचे।
जब परिजन बगीचा अस्पताल पंहुचे तो यहां भी बीमार महिला का इलाज नहीं हुआ।यहां डाक्टर ने उसकी गंभीर स्थिति को देखने के बाद भी उसकी प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं की और उसे बाहर जाने की सलाह दी।परिजन तड़के उसे लेकर होलीक्रॉस अस्पताल पंहुचे जहां उसका इलाज शुरु किया गया।
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फिलहाल इस घटना ने शासन के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है वहीं मानवीय मूल्यों पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।
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