जशपुर/पत्थलगांव,टीम पत्रवार्ता,31 जुलाई 2020
छत्तीसगढ़ के जशपुर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के लगातार मामले सामने आ रहे हैं।ताजा मामला है जशपुर जिले के सबसे बड़े 100 बेड अस्पताल पत्थलगांव का जहां डॉक्टर व नर्स की लापरवाही से एक गर्भस्थ शिशु की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई।स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से नाराज होकर देर रात परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ शुरु कर दी जिसके बाद पत्थलगांव पुलिस ने मौके पर पंहुचकर मामले को शांत कराया।
30 जुलाई को दोपहर 1 बजे के आसपास पत्थलगांव के अम्बेडकर नगर निवासी अरविंद कुर्रे अपनी बड़ी दीदी प्रियंका को प्रसव के लिए पत्थलगांव के सरकारी अस्पताल लेकर पंहुचे जहां महिला चिकित्सक ने सब कुछ सामान्य बताया और एक घंटे में सुरक्षित प्रसव का आश्वासन दिया।शाम के 5 बज गए इसके बाद भी डिलीवरी नहीं हुई अब परिजन खासे परेशान हो गए और उन्होंने फिर से डॉक्टर और नर्स से पूछा तो वही बात उन्होंने कही सब ठीक है इंतजार करें।
इस बीच गर्भवती महिला के परिजनों ने वहां उपस्थित स्टाफ नर्स व डॉ शकुंतला निकुंज को यह बात भी बताई कि गांव में उन्हें दाई ने और बाहर सोनोग्राफी वाले ने भी बताया है कि बच्चा उल्टा है।यह बात सुनते ही नर्स परिजनों पर भड़क गई और कहा ऐसा कुछ नहीं सब ठीक है बच्चे के सिर को छू चुके हैं बच्चा सीधा है।परिजन कहते रहे अगर यहां नहीं हो पाएगा तो बता दें वे बाहर ले जाएंगे पर वहां उपस्थित डाक्टर व नर्स ने एक नहीं सुनी।
रात 8 बजे के आसपास डिलीवरी होने लगी तो बच्चा पैर की तरफ से बाहर आने लगा और बच्चे का सिर फंस गया।बच्चे को बाहर खींचकर निकालते हुए बच्चे की मौत हो गई।यह स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही कही जा सकती है।जब सारे साधन संसाधन मौजूद हैं उसके बावजूद डॉक्टर ये नहीं जान पाए कि बच्चा सीधा है या उल्टा।जब नवजात की मौत हो गई तो अब कोई कह रहा है गले मे नाल फंस गया था तो कोई और कुछ बहाना बना रहा है।मामले से पल्ला झाड़ने में स्वास्थ्य विभाग लगा हुआ है।
बहरहाल स्वास्थ्य अमले के पास दर्जनों बचाव के रास्ते हैं।पर कहीं न कहीं अनुभव और संवेदना की कमी है जिसके कारण चिकित्सक और स्टाफ ऐसी बड़ी लापरवाही करते हैं।पहले भी महिला चिकित्सक शकुंतला निकुंज अपने लापरवाही के कारण विवादों में रह चुकी हैं इसके बावजूद घटना की पुनरावृत्ति होना गंभीर मामला है।
गर्भस्थ शिशु की डिलीवरी के दौरान हुए मौत से परिजन काफी आक्रोशित हो गए और देर रात अस्पताल में जमकर हंगामा मचाने लगे।जैसे ही तोड़फोड़ शुरु करने वाले थे कि पत्थलगांव एसडीओपी योगेश देवांगन,टीआई संतलाल आयाम दाल बल के साथ मौके पर पंहुच गए और मामले को शांत कराया गया।परिजन फिलहाल लापरवाही बरतने वाले चिकित्सक व स्टाफ के खिलाफ कार्यवाही की मांग करते हुए रिपोर्ट लिखाने की बात कह रहे हैं।
मौके पर पंहुचे बीएमओ को परिजनों ने घेर लिया और उन्हें खरीखोटी सुनाने लगे।परिजनों का गुस्सा स्वाभाविक था जब सब कुछ सामान्य था तो फिर नार्मल डिलीवरी के दौरान ऐसा होना उन्हें ठीक नहीं लग रहा था।सबसे बड़ी बात कि सोनोग्राफी से मिली जानकारी में जब परिजनों को पता चला कि बच्चा उल्टा है इसके बावजूद भी चिकित्सक उसे मानने को तैयार नहीं थे।
बहरहाल शासन की जननी सुरक्षा योजना भगवान भरोसे ही कही जा सकती है।जशपुर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में न तो सोनोग्राफी की मशीनें है न तो रेडियोलॉजिस्ट और जहां मशीनें हैं वहां रेडियो लॉजिस्ट ही नहीं है।ऐसे में आधुनिक साधन,संसाधन के बिना सुरक्षित प्रसव कराना भी बड़ी चुनौती है।
फिलहाल उक्त घटना में स्वास्थ्य अमला मामले को दबाने में लग गया है अब देखना होगा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व जिले के कलेक्टर का अगला कदम क्या होता है..?
हंगामे का वीडियो
पत्थलगांव एसडीओपी योगेश देवांगन ने बताया कि रात में अस्पताल में गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद हंगामे की खबर मिली थी।मौके पर जाकर परिजनों को समझाईश देकर मामले को शांत कराया गया।परिजन रिपोर्ट करते हैं तो मामले की जांच की जाएगी।
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