जशपुर,टीम पत्रवार्ता,09 सितंबर 2019
इन दिनों कियोस्क संचालकों की मनमानी के कारण जिले में ग्रामीणों के खातों से अनाधिकृत रुप से पैसे गायब होने के मामले सामने आ रहे हैं।इस बार राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा इसका शिकार हुए हैं।
पीड़ित ग्रामीण ने कियोस्क बैंक संचालक पर ठगी करने का आरोप लगाया है। मामला जिले के बगीचा थाना क्षेत्र का है। ग्रामीण की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
कियोस्क बैंकिंग केन्द्रों में ग्राहकों से रकम आहरित करने के लिए ना तो कोई पर्ची भराई जाती है और ना ही कोई रिकॉर्ड रखा जाता है। केन्द्र में पहुंचने वाले ग्राहकों से अंगूठा लगवाकर उसके खाते को खोल लिया जाता है। इसके बाद रकम आहरित कर इसे पुनः बंद कर दिया जाता है।
ऐसे में खाते से कितनी रकम आहरित की जा रही है,यह ग्राहकों की जानकारी के बिना पूरा होने की आशंका बनी रहती है। ऐसी कई शिकायतें पहले भी जिले में सामने आ चुकी हैं।
जशपुर जिले के बगीचा थाना के ग्राम महनई निवासी पहाड़ी कोरवा फुलसाय मजदूरी करके जीविकोपार्जन करता है। वह जरूरत पड़ने पर 700 रूपए आहरण करने के लिए गांव में स्थित कियोस्क बैंक पहुंचा था ।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि बैंक के संचालक ने उसके खाते से तीन हजार रूपए आहरित किया और उसे 700 रूपए थमा कर चलता कर दिया। इस मामले की भनक जब उसे मिली तो उसने संचालक से संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन मामला नहीं सुलझ पाया।
बगीचा क्षेत्र में ऐसी शिकायत इससे पहले भी आ चुकी है। इसी गांव के गणेश यादव के साथ भी कुछ समय पहले ऐसा ही वाक्या हुआ था। गणेश के मुताबिक वह कियोस्क बैंक से चार हजार रूपए निकालने पहुंचा था। लेकिन जब मोबाइल में खाते से चार हजार से अधिक रूपए आहरित करने का मैसेज आया। तो वह परेशान हो गया। मैसेज के आधार पर जब गणेश यादव ने कियोस्क संचालक से जवाब-तलब किया तो संचालक ने रकम वापस कर मामले को सुलझाया।
ऐसी ही शिकायत मतियस की भी है। उसने बताया कि उसकी 75 वर्षीय वृद्व मां के सामाजिक पेंशन खाते से चार सौ रूपए रकम आहरित करने के बाद संचालक ने बताया कि उसके खाते में सिर्फ 34 रूपए ही बचे हैं। इसके बाद से मामले की जांच और खाते से गायब हुई रकम को वापस पाने के लिए मतियस बैंक का चक्कर काट रहा है।
कियोस्क से ग्रामीणों का भरोसा टूटा
डिजिटल बैंकिंग के नाम पर जगह-जगह खुल चुके कियोस्क और मोबाइल एप आधारित बैकिंग केन्द्र ग्राहकों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। इन केन्द्रों में रकम आहरित करने या जमा करने के लिए कोई जमा या निकासी पर्ची का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है।आधार नंबर के सहयोग से ग्राहक का अंगूठे का इस्तेमाल कर,ऑनलाइन बैकिंग की प्रक्रिया पूरी की जाती है। एक बार बायोमीट्रिक मशीन में ग्राहक का फिंगर प्रिंट पंच होने के बाद सेंटर संचालक खुले हुए बैंक खाते के साथ मनमानी करने के लिए स्वंत्रत हो जाता है।
जनजातीय बाहुल जशपुर जिले में साक्षरता और जागरूकता की कमी की वजह से ग्रामीणों को मोबाइल पर आने वाले मैसेज की समझ नहीं होती है और कियोस्क सेंटर संचालक इन भोले ग्रामीणों के खातों से रकम पार कर अपनी जेब भरते नजर आ रहे हैं।
बगीचा थाना प्रभारी विकास शुक्ला ने पत्रवार्ता को बताया कि कियोस्क सेंटर में इस प्रकार की काफी शिकायतें आ रही है,जांच कर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात उन्होंने कही।
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