नई दिल्ली, 12 सितंबर 2019 (टीम पत्रवार्ता)
सुप्रीम कोर्ट पहुँचे छत्तीसगढ़ के मुस्लिम युवक द्वारा हिन्दू युवती से विवादित अंंतर-धार्मिक विवाह के एक मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने युवक को एक 'महान प्रेमी' और 'वफादार पति' बनने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा कि वह अंतर धार्मिक या अंतर जातीय विवाह के खिलाफ नहीं है। लेकिन उन्हें सिर्फ युवती के भविष्य की चिंता है।
दरअसल मामला छत्तीसगढ़ के अंतर-धार्मिक विवाह से जुड़ा है, यह मामला हिंदू युवती के एक मुस्लिम युवक से शादी का है। युवक का कहना है कि उसे युवती का परिवार स्वीकार ले इसलिए उसने हिंदू धर्म अपना लिया। जबकि युवती के परिवार का आरोप है कि धर्म परिवर्तन को लेकर झूठ कहा जा रहा है।
इधर जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,हम सिर्फ लड़की के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हम अंतर-धार्मिक या अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को एक 'वफादार पति' और 'महान प्रेमी' होना चाहिए। युवती के पिता के वकील ने जोर देते हुए कहा कि यह लड़कियों को फंसाने का रैकेट है।
शीर्ष अदालत ने मुस्लिम युवक को हलफनामा दायर करने को कहा है। कोर्ट ने युवक से पूछा कि क्या उसने आर्य समाज मंदिर में शादी के बाद अपना नाम बदल लिया है और अपने नाम के बदलाव के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। अदालत ने कहा, 'हम सिर्फ चाहते हैं कि लड़की का भविष्य सुरक्षित होना चाहिए। युवती के पिता के वकील ने कहा कि युवती को किसी सुरक्षा की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और लड़की के हस्तक्षेप अर्जी को अनुमति दी है।
गौरतलब है कि छग के धमतरी निवासी जैन समाज की युवती ने माता-पिता के विरोध के बावजूद धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपनाने वाले मुस्लिम युवक से रायपुर के आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया है। जिसे लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया गया है।
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