बिलासपुर(पत्रवार्ता)अरपा-भैसाझार परियोजना में उद्घाटन के पहले ही दरार आने को लेकर जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने जांच दल का गठन कर जाँच के निर्देश दिए थे। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने मामले में चिंता जाहिर करते हुए जिले की जनता की जान को कोई खतरा ना हो इसलिए सरकार का भी इस ओर ध्यान आकृष्ट करवाया था।
16 अगस्त को जिला कार्यकारी अध्यक्ष इंजी. विक्रांत तिवारी की अध्यक्षता मे जाँच दल ने परियोजना का हेड वर्क जाँचने मौका मुआयना किया। साथ ही आस पास के ग्राम वासियों से भी चर्चा की। जिसपर कई महत्वपुर्ण तथ्य सामने आए जो बैराज के फेल होने की ओर इशारा ही नहीं बल्कि एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करते हैं। जिसके बाद जाँच दल के अध्यक्ष और कमिटी ने एक राय से जाँच का दायरा बढ़ाते हूए हेड वर्क के साथ- साथ नहर नेट्वर्क की जाँच करने का भी निर्णय लिया है।
जाँच दल के अध्यक्ष विक्रांत तिवारी ने बताया कि
जाँच के दौरान बहुत सी गंभीर चूक और भ्रस्टाचार के प्रमाण सामने आए हैं। जिसे अब जाँच मे शामिल कर जाँच अब तिनों विकासखण्डो मे की जाएगी। पहले दिन ही इस बात के प्रमाण मिले हैं कि बैराज मे भ्रस्टाचार के बहुत से राज दफन है। और हमे आशंका है की इसमे जिले का अब तक का सबसे बडा और सुनियोजित घोटाला सामने आ सकता है। जहाँ बैराज मे आई दरार बहुत ही गंभीर है वहीं ओवर फ़्लो के लिए नहर मे बनाए गए गेट पहली बार मे ही बह गए हैं जिसे छुपाने की तमाम कोशिश की जा रही हैं।
जनता कांग्रेस के जाँच दल ने बयान जारी कर कहा की सिंचाई विभाग के अधिकारियों के बयानों से स्पष्ट है कि अरपा भैसाझार परियोजना की लागत भी दुगनी हो गई, समय भी दुगना लग गया। 25000 हे. भूमी को सिंचित करने की योजना थी उसे आधे से कम 10000 हे. कर लिया गया और काम अभी भी अधूरा है । साथ ही साथ जो काम हुआ है वो भी गुणवत्ता की दृष्टी से निम्न स्तर का प्रतीत होता है।
जिससे साफ है की परियोजना मे जनता के पैसों का बन्दरबाँट किया गया है। जिस उद्देश्य से उक्त परियोजना को मंजूरी मिली थी उसके खण्ड 5.2 (ख)मे उल्लेखित उद्देश्य से परियोजना भट्की हुई लगती है। और उसे पुरा कर पाने मे असमर्थ प्रतीत हो रही है। आगे की जाँच इसी 5.2(ख) के दर्शाये उद्देश्य और गुणवत्ता को आधार मान कर की जाएगी।
जिससे साफ है की परियोजना मे जनता के पैसों का बन्दरबाँट किया गया है। जिस उद्देश्य से उक्त परियोजना को मंजूरी मिली थी उसके खण्ड 5.2 (ख)मे उल्लेखित उद्देश्य से परियोजना भट्की हुई लगती है। और उसे पुरा कर पाने मे असमर्थ प्रतीत हो रही है। आगे की जाँच इसी 5.2(ख) के दर्शाये उद्देश्य और गुणवत्ता को आधार मान कर की जाएगी।
जाँच दल ने चिंता जाहिर करते हूए कहा की परियोजना के कमाण्ड एरिया और नदी के किनारे बसे बिलासपुर जिले के लोग मौत के मुहाने पर हैं। अगर बैराज बहता है तो बड़ी हानि का सामना करना पडेगा। बार बार नदी मे पानी छोड़ना ये बताता है की अधिकारियो को भी इसका अंदेशा हो चुका है इसलिए नहर मे पानी छोडने और टेस्टिंग करने की बजाए बैराज का दबाव कम करने की निति अपनाई जा रही है।
लगातार पानी छोड़ना अधिकारियो द्वारा इस बड़ी परियोजना को धाराशाही होने से बचाने की कोई युक्ती लग रही है।
वियर गेट और मुख्य नहर के स्लुस गेट के मध्य का हिस्सा दोनो ओर से दरार की चपेट मे हैं उसमे पाटी गई मिट्टी धस रही है और 60 से मी (लगभग) चौडी दिवार जल भराव की ओर झुक रही है जो कभी भी टुट कर बह सकती है जिससे जोगिपुर और आस पास के गाँव डूबने का खतरा भी बना हुआ है। जिस पर अधिकारी गंभीर नही दिखाई दे रहे हैं।
जाँच दल जल्द ही तखतपुर और बिल्हा मे भी जाँच कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। जिसके बाद जाँच रिपोर्ट जनता के समक्ष रखी जाएगी। जाँच दल में मुख्य रुप से संजय जायसवाल(रतनपुर), बृजभान सिंह, अश्वनी धुर्वे, भगीरथी मरकाम, संतराम मरावी, सुनील वर्मा, संतोष श्याम, भारत सिंह एवं जाँच दल अध्यक्ष विक्रांत तिवारी शामिल रहे।
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