बिलासपुर(पत्रवार्ता.कॉम) सूबे के सरकारी बाबूओं ने इस बार आर-पार का मूड बना लिया है। प्रदेश के 28 हज़ार शासकीय लिपिक वर्गीय कर्मचारी शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इससे सरकारी कामकाज पूरी तरह ठप्प हो गया है। दरअसल सीएम से बातचीत विफल होने के बाद संघ ने फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था।
शुक्रवार को एक स्वर में सभी कर्मचारीयों ने इसका समर्थन करते हुए काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया है। हड़ताल के कारण प्रमुख सभी सरकारी कार्यालयों में सुबह से ही कामकाज ठप्प रहा। संघ के महामंत्री रोहित तिवारी ने बताया कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि हमारी मांग राजस्थान सरकार के अनुरूप लिपिकों का वेतन ग्रेड 1900 को 2400, 2400 को 2800 और 2800 को 4200 कर वेतन विसंगति दूर करने की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री द्वारा चार स्तरीय वेतनमान देने की घोषणा बिलासपुर में की गई थी, जिसको त्रुटिपूर्ण आदेश जारी कर मात्र तीन स्तरीय वेतनमान का आदेश जारी हुआ है। जो कि कर्मचारियों के साथ छलावा मात्र है।
उक्त आदेश में भी उचित संशोधन की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने चुनावी वायदे पूरे करने चाहिए। चूंकि वायदों से प्रभावित होकर ही कर्मचारी व उनके परिवारों ने भाजपा को वोट दिया था। मगर सत्ता में आते ही भाजपा अपने वायदों से मुकर गई। उन्होंने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगा। कर्मचारियो ने चुनाव व्यवस्था भी प्रभावित करने की चेतावनी दी है।
उन्होंने कहा कि हमारी मांग राजस्थान सरकार के अनुरूप लिपिकों का वेतन ग्रेड 1900 को 2400, 2400 को 2800 और 2800 को 4200 कर वेतन विसंगति दूर करने की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री द्वारा चार स्तरीय वेतनमान देने की घोषणा बिलासपुर में की गई थी, जिसको त्रुटिपूर्ण आदेश जारी कर मात्र तीन स्तरीय वेतनमान का आदेश जारी हुआ है। जो कि कर्मचारियों के साथ छलावा मात्र है।
उक्त आदेश में भी उचित संशोधन की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने चुनावी वायदे पूरे करने चाहिए। चूंकि वायदों से प्रभावित होकर ही कर्मचारी व उनके परिवारों ने भाजपा को वोट दिया था। मगर सत्ता में आते ही भाजपा अपने वायदों से मुकर गई। उन्होंने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगा। कर्मचारियो ने चुनाव व्यवस्था भी प्रभावित करने की चेतावनी दी है।
बहरहाल सरकारी बाबूओं के आर-पार के मूड से एक बात तो तय है कि अगर इनकी मांगे पूरी नही हुई, तो चुनावी साल में सरकारी बाबूओं का हड़ताल सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
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